जिस तरह से समय बदल रहा है उसी तरह से भारत में लोगो का निवेश करने का निवेश की सोच और तरीका दोनों बदल रहा है अब लोगों की सोच पहले जैसी नहीं रही। जहां पहले लोग सिर्फ बैंक FD या सोने में निवेश को सुरक्षित मानते थे, वहीं अब अधिकतर लोग म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री के साथ Mutual Funds में निवेश कर रहे हैं। Mutual Fund आज उस भरोसेमंद माध्यम के रूप में ऊपर आया है, जिसमें अब आम निवेशक भी निवेश करने के लिए कोई संकोच नहीं करते हैं।
इसी बीच SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने निवेश की दुनिया में एक बड़ा बदलाव लाने वाला कदम उठाया है।
अब म्यूच्यूअल फंड्स को रियल एस्टेट में निवेश की अनुमति मिल गई है — यानी अब म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री के जरिए Mutual Fund भी REITs (Real Estate Investment Trusts) और InvITs (Infrastructure Investment Trusts) में अधिक निवेश कर पाएंगे।
यह कदम निवेशकों के लिए एक “डबल फायदा” वाला अवसर साबित हो सकता है — क्योंकि इससे उन्हें शेयर बाजार की ग्रोथ और रियल एस्टेट से मिलने वाली स्थिर आय, दोनों का लाभ मिलेगा।

SEBI का नया नियम क्या है?
SEBI ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसके तहत म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री के जरिए अब फंड अपने पोर्टफोलियो का 20% हिस्सा REITs और InvITs में लगा सकते हैं। पहले यह सीमा सिर्फ 10% थी। यानि अब फंड हाउस अपने निवेश को शेयर और बॉन्ड्स से आगे बढ़ाकर रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी संपत्तियों में भी फैला सकते हैं।
SEBI का उद्देश्य —
1. निवेशकों को ज्यादा विविधता (Diversification) देना।
2. और Mutual Funds को स्थिर रिटर्न वाले एसेट क्लास में भी भागीदारी का मौका देना।
REITs और InvITs क्या होते हैं?
REIT (Real Estate Investment Trust)
REIT एक ऐसी कंपनी होती है जो ऑफिस बिल्डिंग, मॉल, कॉमर्शियल स्पेस या होटल्स जैसी प्रॉपर्टीज में निवेश करती है। म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री के तहत अब फंड भी REITs में निवेश कर सकते हैं।
इनसे मिलने वाली किराये की आय (rental income) को यह निवेशकों के बीच बाँटती है।
इसका सीधा और सरल मतलब है कि अगर आपके पास खुद प्रॉपर्टी खरीदने के पैसे नहीं हैं, तो REIT के ज़रिए आप बिना मकान खरीदे भी किराया कमा सकते हैं।
InvIT (Infrastructure Investment Trust)
InvIT उन कंपनियों में निवेश करता है जो सड़क, बिजली घर, टोल प्रोजेक्ट्स, गैस पाइपलाइन जैसी बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ चलाती हैं। के जरिए अब फंड इस प्रकार की परियोजनाओं में भी हिस्सा ले सकते हैं।
इनसे होने वाली आमदनी (जैसे: टोल टैक्स या पावर ग्रिड चार्जेज) निवेशकों के बीच वितरित की जाती है।
दोनों ही SEBI के तहत नियंत्रित होते हैं, जिससे पारदर्शिता और सुरक्षा बनी रहती है।
म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री: क्यों जरूरी है और इसके फायदे
म्यूच्यूअल फंड्स अब सिर्फ शेयर और बॉन्ड्स में निवेश नहीं करता बल्कि वो अब म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री करके रियल एसेट्स (Real Assets) में भी निवेश करने लगा। इससे Mutual Fund का पोर्टफोलियो और भी मजबूत होगा।
यह बदलाव तीन बड़े फायदे लाएगा
Diversification बढ़ेगा —
अब निवेश सिर्फ इक्विटी या डेट तक सीमित नहीं रहेगा। रियल एसेट्स से जुड़ने पर जोखिम फैलेगा और रिटर्न का संतुलन बनेगा।
Stable Income Source —
REITs और InvITs से नियमित रेंटल इनकम आती है, जो फंड्स को स्थिरता देती है।
Inflation Protection —
रियल एस्टेट की वैल्यू समय के साथ बढ़ती है। इस कारण ये निवेश महंगाई से सुरक्षा देते हैं।

निवेशकों को मिलेगा “डबल फायदा”: म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री
म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री का सीधा फायदा निवेशकों को होगा। ये कैसे होगा आइए समझते हैं:
1. रियल एस्टेट में अप्रत्यक्ष निवेश
अब हर व्यक्ति को मकान या जमीन खरीदने की जरूरत नहीं। Mutual Fund के माध्यम से वह छोटे निवेश से भी रियल एस्टेट मार्केट का हिस्सा बन सकता है।
2. Passive Income का फायदा
REITs से मिलने वाली किराये की आमदनी Mutual Fund निवेशकों तक भी पहुंचती है। यानि आप शेयर बाजार की ग्रोथ के साथ-साथ नियमित इनकम का लाभ भी उठा सकते हैं।
3. Risk कम होगा
अगर शेयर बाजार गिरता है तो REITs जैसी एसेट्स उस असर को थोड़ा संतुलित कर सकती हैं। इससे पोर्टफोलियो स्थिर रहता है।
4. Inflation से सुरक्षा
रियल एस्टेट एसेट्स महंगाई बढ़ने पर भी वैल्यू में गिरावट नहीं दिखाते। इससे निवेश की वास्तविक वैल्यू सुरक्षित रहती है।
नए नियम की चुनौतियाँ: म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री
जैसे फायदे हैं, वैसे कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं।
1. पैसे की जरूरत पड़ने पर बेच पाना मुश्किल
REITs और InvITs उतने आसानी से नहीं बेचे जा सकते जैसे शेयर। अगर आपको तुरंत पैसे की जरूरत पड़े, तो आप इसे नहीं बेच सकते थोड़ा समय देना पड़ेगा।
2. बाज़ार में उतार-चढ़ाव
अगर रियल एस्टेट मार्केट कमजोर होता है या किराये की दरें घटती हैं, तो रिटर्न पर असर पड़ता है।
3. कर प्रणाली की जटिलता
REITs और InvITs की टैक्स पॉलिसी अलग होती है। कभी-कभी डिविडेंड या इनकम पर अतिरिक्त टैक्स देना पड़ जाता हैं।
4. ब्याज दरों का प्रभाव
जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो रियल एस्टेट की वैल्यू घट जाती है, जिससे REITs की कमाई भी कम हो जाती है।
किन निवेशकों के लिए यह बेहतर रहेगा?
इस फंड्स में निवेश करना उन निवेशकों के लिए फायदेमंद हैं जो —
- लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं,
- नियमित आय (Passive Income) की तलाश में हैं,
- या सीधे प्रॉपर्टी खरीदने में सक्षम नहीं हैं।
ऐसे निवेशकों को म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री एक आसान और अच्छा विकल्प देगी।

उदहारण के तौर पर सरल भाषा में समझते हैं
मान लीजिए, आपने ₹1,00,000 किसी Mutual Fund में लगाए। अब SEBI के नए नियम के तहत, आपका फंड मैनेजर इस रकम का 20% यानी ₹20,000 तक REITs या InvITs में लगा सकता है।
इससे आपके पैसे का कुछ हिस्सा शेयर बाजार में बढ़ेगा, और कुछ हिस्सा रेंटल इनकम जैसी स्थिर आय से लाभ देगा।
यानी —
Growth + Stability = डबल फायदा!
निष्कर्ष
SEBI का नया नियम म्यूच्यूअल फंड्स में रियल एस्टेट की एंट्री भारत के निवेश जगत के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव है। जिससे निवेशकों को डबल लाभ मिलेगा — एक तरफ इक्विटी की तेजी से ग्रोथ, और दूसरी तरफ रियल एसेट्स की स्थिरता।
हालांकि निवेश से पहले फंड की रणनीति, जोखिम और टैक्स नियमों को समझना जरूरी है। लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले समय में Mutual Funds अब सिर्फ शेयरों में ही निवेश नहीं करेगा बल्कि भारत के रियल एस्टेट का भी हिस्सा बनेगा।